देहरादून, 7 मार्च। तत्कालीन अध्यक्ष डॉ. राकेश कुमार ने हर साल पीसीएस भर्ती का दावा किया था, लेकिन तब सरकार के पास इतने पद खाली नहीं थे। 2020 में 318 पदों के लिए पीसीएस भर्ती का प्रस्ताव राज्य लोक सेवा आयोग को भेजा गया था। अगर देखा जाये तो सभी राज्यों में हर साल पीसीएस की परीक्षा होती है, मगर उत्तराखंड में लगता है कि सरकार इसे पंचवर्षीय योजना के रूप में ले रही है।
एक माह से आयोग के पास लटका है नोटिफिकेशन
पीसीएस की तैयारी कर रहे युवाओं का sartakpahal.com के संवाददाता से कहना था कि राज्य लोक सेवा आयोग के पास एक महीने पहले अधियाचन पहुंच चुका है, मगर इसका नोटिफिकेशन नहीं निकाला जा रहा है, जबकि इस समय राज्य में पीसीएस स्तर के कई स्थान रिक्त पड़े हैं। उन्होंने कहा कि कि हर साल पीसीएस भर्ती का दावा करने वाला आयोग इस समय धरातल पर कहीं नजर नहीं आ रहा है। इस समय इन छात्रों ने सोशल मीडिया में कैंपेन शुरू कर रखा है कि ‘नो पीसीएस नो वोट’।
राज्य लोक सेवा आयोग ने पिछले साल भर्तियों के कैलेंडर में पीसीएस प्री परीक्षा इस साल दो जुलाई और मुख्य परीक्षा 11-15 दिसंबर को प्रस्तावित की थी। तत्कालीन अध्यक्ष डॉ. राकेश कुमार ने हर साल पीसीएस भर्ती का दावा भी किया था, लेकिन सरकार के पास इतने पद ही खाली नहीं थे। 2020 में 318 पदों के लिए पीसीएस भर्ती का प्रस्ताव राज्य लोक सेवा आयोग को भेजा गया।
आचार संहिता का डर भी संता रहा है युवाओं को
इसी आधार पर भर्ती प्रक्रिया चल रही है, लेकिन साढ़े तीन साल से सरकार ने आयोग को नई भर्ती का कोई प्रस्ताव नहीं भेजा। युवाओं ने सीएम हेल्पलाइन पर शिकायत की तो आयोग ने प्रस्ताव नहीं आने की बात स्वीकारी। उधर, आयोग के सचिव गिरधारी सिंह रावत का कहना है कि नई पीसीएस या लोवर पीसीएस भर्ती का प्रस्ताव अभी तक शासन से नहीं मिला है। जैसे ही आएगा, भर्ती की प्रक्रिया चालू कर दी जाएगी।
पिछले 23 साल में केवल 6 PCS भर्ती पूरी हुई
हिमाचल में हर साल पीसीएस भर्ती निकलती है, जिससे युवा बड़ी संख्या में सपने पूर कर रहे हैं, लेकिन उत्तराखंड में हर साल यह भर्ती नहीं निकल पाती। पूर्व में भी खुद शासन ये मान चुका कि पीसीएस के इतने पद ही रिक्त नहीं हो रहे। अभ्यर्थियों का कहना है कि नई भर्ती के इंतजार में ही उम्र निकली जा रही है। बता दें कि राज्य में पिछले 23 साल में केवल छह पीसीएस भर्तियां पूरी हो पाई हैं, सातवीं की तैयारी चल रही है।
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