मसूरी, 5 अप्रैल। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ शुक्रवार को मसूरी की लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासनिक अकादमी में आईएएस अधिकारियों के फेज-1 प्रशिक्षण के समापन समारोह में शामिल हुए। इस दौरान उन्होंने युवा अधिकारियों से कहा कि युवा अधिकारियों को लोग आदर्श के रूप में देखते हैं। इसी को ध्यान में रखते हुए आप लोग अपने कार्यों से समाज में अनुकरणीय उदाहरण पेश करें।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि युवा अधिकारी समानुभूति की भावना के साथ काम करें। आप में से प्रत्येक अधिकारी उत्कृष्टता, सत्यनिष्ठा और सार्वजनिक सेवा के प्रति प्रतिबद्धता का प्रतीक है। मैं आप में अपनी दृष्टि और संकल्पना में भारत को परिभाषित करने की क्षमता देखता हूं और मुझ पर विश्वास करें कि आप 2047 तक विकसित भारत बनाने के लिए सक्षम हैं। कहा कि आप सभी भारत की बढ़ती इस विकास यात्रा को बनाए रखेंगे और इसमें योगदान देंगे।
उपराष्ट्रपति को याद आया बचपन
समारोह में उपराष्ट्रपति को अपना बचपन भी याद आया। उन्होंने कहा कि उन्होंने और उनकी पीढ़ी ने ऐसा भारत देखा है, जहां गांव में रोशनी नहीं थी, सड़क संपर्क नहीं था। कहा कि पानी, नल, घर में शौचालय के बारे में सोच भी नहीं सकते थे। कभी घर में गैस कनेक्शन की कल्पना नहीं की जा सकती थी। उस समय गांव में कोई स्कूल नहीं होता था या ज्यादा से ज्यादा एक प्राइमरी स्कूल होने पर ही संतुष्ट हुआ जा सकता था। कहा कि आज देखें कि हम कहां हैं।
देश ने तकनीक में की तरक्की
कहा कि देश ने डिजिटल और तकनीक के क्षेत्र में शानदार तरक्की की है। मजबूत बुनियादी ढांचे के साथ डिजिटल कनेक्टिविटी से देश को बहुत फायदा हुआ है। देश के हर हिस्से में इंटरनेट की पहुंचा है और हमारी प्रति व्यक्ति इंटरनेट खपत संयुक्त राज्य अमेरिका और चीन की तुलना में अधिक है।
‘मैं किसान का बेटा हूं’
धनखड़ ने कहा कि मैं किसान का बेटा हूं। मैं एक गांव से हूं। मैं बाहर कदम रखने वाली पहली पीढ़ी हूं। मैं आज जो कहता हूं और 30 साल पहले जब मैं मंत्री और संसद का सदस्य था तब मैं इसकी कल्पना भी नहीं कर सकता था।
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