उत्तराखंड विधानसभा में UCC बिल पास, बनेगा समान कानून लागू करने वाला पहला राज्य

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देहरादून, 7 फरवरी। उत्तराखंड ने इतिहास रच दिया है। बुधवार को विधानसभा सत्र के दौरान चर्चा के बाद समान नागरिक संहिता बिल यानी यूसीसी ध्वनिमत से पास हो गया। इसी की के साथ उत्तराखंड समान कानून लागू करने वाला देश का पहला राज्य बन गया है। इसी के साथ ही उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारियों के लिए 10 फीसदी क्षैतिज आरक्षण का बिल भी उत्तराखंड विधानसभा से पास हो गया है।

उत्तराखंड विधानसभा के लिए 7 फरवरी 2024 का दिन ऐतिहासिक रहा। उत्तराखंड विधानसभा ने यूसीसी बिल पास करने वाली देश की पहली विधानसभा का गौरव भी हासिल कर लिया है। 5 फरवरी से शुरू हुए उत्तराखंड विधानसभा के विशेष सत्र में 6 फरवरी को विधेयक को सदन के पटल पर रखा गया था। विपक्ष ने चर्चा से पहले विधानसभा अध्यक्ष से विधेयक का अध्ययन करने के लिए समय मांगा। इसके बाद 7 फरवरी को विधेयक पर चर्चा की गई।

प्रस्ताव पारित होने से पहले बिल पर बोलते हुए सीएम पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि हमारे संविधान निर्माताओं ने जो सपना देखा था, वह जमीन पर उतरकर हकीकत बनने जा रहा है। हम इतिहास रचने जा रहे हैं। देश के अन्य राज्यों को भी उसी दिशा में आगे बढ़ना चाहिए। सीएम धामी ने कहा कि आज इस ऐतिहासिक क्षण का साक्षी बनते हुए, न केवल इस सदन को बल्कि उत्तराखंड के प्रत्येक नागरिक को गर्व की अनुभूति हो रही है। हमारी सरकार ने पीएम मोदी के ‘एक भारत और श्रेष्ठ भारत’ मंत्र को साकार करने के लिए उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता लाने का वादा किया था।

राज्यपाल के दस्तखत होते ही UCC कानून बन जायेगा
यूसीसी बिल पास होने के बाद अब इसे राज्यपाल के पास भेजा जाएगा. राज्यपाल के दस्तखत होते ही ये कानून बन जाएगा। इससे राज्य के सभी लोगों पर समान कानून लागू हो जाएंगे।. हालांकि, अनुसूचित जनजाति (एसटी) के लोगों पर इसके प्रावधान लागू नहीं होंगे। उत्तराखंड पहला ऐसा राज्य हो गया, जहां समान नागरिक संहिता का कानून लागू होने जा रहा है। इससे पहले गोवा में समान नागरिक संहिता लागू है, लेकिन वहां पुर्तगाल के शासन काल से ही ये लागू है।

यूसीसी बिल की प्रमुख बातें
बेटे और बेटी के लिए समान संपत्ति का अधिकार
उत्तराखंड सरकार द्वारा तैयार समान नागरिक संहिता विधेयक में बेटे और बेटी दोनों के लिए संपत्ति में समान अधिकार सुनिश्चित किया गया है, चाहे उनकी कैटेगिरी कुछ भी हो। सभी श्रेणियों के बेटों और बेटियों को संपत्ति में समान अधिकार दिए गए हैं।

वैध और नाजायज बच्चों के बीच की दूरियां खत्म होंगी
विधेयक का उद्देश्य संपत्ति के अधिकार के संबंध में वैध और नाजायज बच्चों के बीच के अंतर को खत्म करना है। अवैध संबंध से होने वाले बच्चे भी संपत्ति में बराबर के हक होंगे। सभी बच्चों को जैविक संतान के रूप में पहचान मिलेगी। नाजायज बच्चों को दंपति की जैविक संतान माना गया है।

गोद लिए गए और बायोलॉजिकली रूप से जन्मे बच्चों में समानता
समान नागरिक संहिता विधेयक में गोद लिए गए, सरोगेसी के जरिए पैदा हुए या सहायक प्रजनन तकनीक के माध्यम से पैदा हुए बच्चों के बीच कोई अंतर नहीं है। उन्हें अन्य बायोलॉजिकली बच्चों की तरह जैविक बच्चा माना गया है और समान अधिकार दिए गए हैं।

मृत्यु के बाद समान संपत्ति का अधिकार
किसी व्यक्ति की मृत्यु के बाद, पति/पत्नी और बच्चों को समान संपत्ति का अधिकार दिया गया है। इसके अतिरिक्त, मृत व्यक्ति के माता-पिता को भी समान अधिकार दिए गए हैं। यह पिछले कानूनों से एकदम अलग है। पिछले कानून में मृतक की संपत्ति में सिर्फ मां का ही अधिकार था।

UCC के अन्य उद्देश्य
विधेयक का प्राथमिक उद्देश्य एक कानूनी स्ट्रक्चर बनाना है जो राज्य के सभी नागरिकों के लिए विवाह, तलाक, भूमि, संपत्ति और विरासत कानूनों में स्थिरता सुनिश्चित करता है, चाहे उनका धर्म कुछ भी हो। रिपोर्टों के अनुसार, विधेयक का मसौदा तैयार करने वाली कमेटी की अन्य प्रमुख सिफारिशों में बहुविवाह (एक से ज्यादा शादी) और बाल विवाह पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया गया है। सभी धर्मों में लड़कियों के लिए एक समान विवाह योग्य आयु और तलाक के लिए समान आधार और प्रक्रियाओं का पालन करना होगा।

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