नवंबर में पंचायतों का कार्यकाल हो रहा खत्म, लेकिन आरक्षण तय न होने पर चुनाव में देरी

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डॉ. अजय मोहन सेमवाल। उत्तराखंड में पंचायत चुनाव के लिए देरी के पीछे वजह सरकार का समय पर आरक्षण व्यवस्था तय न कर पाना है. हालांकि सरकार में राज्य निर्वाचन आयोग के पाले में गेंद ये कहकर सरका दी थी कि सरकार पंचायत चुनाव के लिए तैयार है और राज्य निर्वाचन आयोग जब चाहे तारीख तय कर सकता है, लेकिन अब राज्य निर्वाचन आयोग ने भी यह स्पष्ट कर दिया है कि सरकार ने अब तक आरक्षण पर स्थिति स्पष्ट ही नहीं की है. लिहाजा राज्य निर्वाचन आयोग अब सरकार की आरक्षण व्यवस्था का इंतजार कर रहा है.

उत्तराखंड में पंचायत चुनाव पर जहां एक तरफ घमासान मचा है तो वहीं अब सरकार और राज्य निर्वाचन आयोग दोनों ही अपनी-अपनी तैयारी को पूरा होने की बात कहकर गेंद एक दूसरे के पहले में सरका रहे हैं. पंचायतीराज सचिव चंद्रेश यादव ये पहले ही कह चुके हैं कि राज्य सरकार चुनाव कराने के लिए तैयार है और राज्य निर्वाचन आयोग जब भी चुनाव की तारीख तय करेगा, उसी दौरान चुनाव कराए जाएंगे.

सरकार की तरफ से आरक्षण की स्थिति स्पष्ट ही नहीं
उधर, अब राज्य निर्वाचन आयोग ने यह कहकर सरकार की तैयारी पर सवाल खड़े कर दिए हैं कि अभी सरकार की तरफ से आरक्षण की स्थिति स्पष्ट ही नहीं की गई है. लिहाजा बिना आरक्षण के चुनाव संपन्न कराया जाना संभव नहीं है. राज्य निर्वाचन आयोग की माने तो अक्टूबर महीने के पहले ही सप्ताह में सरकार ने परिसीमन तय कर दिया था. इसके बाद राज्य निर्वाचन आयोग ने सात अक्टूबर से ही वोटर लिस्ट के पुनरीक्षण का कार्य शुरू कर दिया था, जिसका अंतिम प्रकाशन 13 जनवरी 2025 को किया जाएगा.

निर्वाचन आयोग कर चुका है तैयारियां पूरी
हालांकि राज्य निर्वाचन आयोग बाकी सभी तैयारियां को पूरा कर चुका है और अब इंतजार केवल सरकार की तरफ से आरक्षण को लेकर स्थिति स्पष्ट करने का है, जिसके बाद आयोग चुनाव कराने के लिए पूरी तरह से तैयार हो जाएगा. बता दें कि उत्तराखंड में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के लिए ग्राम प्रधान की संख्या कुल 7505 है. इसी तरह ग्राम पंचायत सदस्य की संख्या 55635 है.

वहीं, क्षेत्र पंचायत सदस्यों के लिए सीटों की संख्या 2976 है. इसी तरह जिला पंचायत सदस्यों की संख्या 358 है, जबकि प्रमुख क्षेत्र पंचायत 89 है और 12 पदों पर जिला पंचायत अध्यक्ष के लिए चुनाव होने हैं. इससे पहले प्रदेश में पंचायतों के कार्यकाल को बढ़ाए जाने की मांग पंचायत प्रतिनिधियों द्वारा की जा रही थी, लेकिन इस पर कोई नियम न होने के कारण इस मांग को पूरा नहीं किया जा सका.

उधर नवंबर महीने में ही पंचायतों का कार्यकाल खत्म हो रहा है. ऐसे में सरकार अब पंचायतों में प्रशासक बैठाने की तैयारी कर रही है. इस बीच सरकार चुनाव के लिए पूरी तरह तैयार होने की बात कह रही थी, लेकिन राज्य निर्वाचन आयोग ने सरकार की तरफ से आरक्षण तय नहीं होने की बात कह कर यह स्पष्ट कर दिया कि चुनाव में देरी की वजह सरकार का आरक्षण तय न कर पाना ही है.

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