उत्तरकाशी, 5 फरवरी। आपदा प्रभावित उत्तरकाशी जिले में राज्य बनने के बाद से ही जिलाधिकारी की कुर्सी हमेशा झूलती रहती है। 31, जनवरी 2024 को एक बार फिर यहां के जिलाधिकारी अभिषेक रुहेला का तबादला कर दिया गया। जब उत्तराखंड का उदय हुआ है तब से 23 सालों में उत्तरकाशी जिले को 24 जिलाधिकारी मिल चुके हैं। मेहरबान सिंह बिष्ट ने कार्यभार ग्रहण करने से पहले विश्वनाथ मंदिर में पूजा-अर्चना कर जनपदवासियों की सुख-समृर्धि की कामना की।
नये जिलाधिकारी ने संभाला कार्यभार
सोमवार को जिले के नवनियुक्त जिलाधिकारी डॉ. मेहरबान सिंह बिष्ट ने सोमवार को 24 वें जिलाधिकारी के रूप में अपना कांटों भरा ताज ग्रहण किया। जिला कार्यालय पंहुचने पर पुलिस ने उन्हें गार्ड ऑफ ऑनर से सम्मानित किया।
हमेशा डोलती रही है डीएम की कुर्सी
उत्तरकाशी जिले में डीएम की कुर्सी पर हमेशा खतरा मंडराता रहता है। पूर्व में डॉ. आर राजेश कुमार ने करीब एक साल तीन महीने का कार्यकाल पूरा कर 8 जुलाई 2013 में कुर्सी छोड़ी थी। उसके बाद जिलाधिकारी के तौर पर पंकज पांडेय को भेजा गया जिन्हें पांच महीने में स्थानांतरित कर दूसरा जिला दे दिया गया था। श्रीधर बाबू को 3 दिसम्बर 2013 को टिहरी का जिलाधिकारी बनाकर भेजा गया, लेकिन करीब सात महीने में पूरे होते ही उन्हें भी हटा दिया गया।
11 डीएम में एक साल भी नहीं टिक पाये
इनमें से सिर्फ तीन जिलाधिकारियों का कार्यकाल ही दो साल से कुछ अधिक रहा, जबकि 11 डीएम तो एक साल भी नहीं टिक पाए। स्थानीय लोग कम समय में ही डीएम के तबादलों को जिले के विकास की लिहाज से गलत मानते रहे हैं। नौ नवंबर 2000 में अलग राज्य बनने के बाद से अब तक जिले में 23 डीएम बदले जा चुके हैं। अब डा. मेहरबान सिंह बिष्ट ने 24 वें डीएम के रूप में कार्यभार ग्रहण किया है।
केके पंत का कार्यकाल सबसे लंबा
2003 में वरुणावत भूस्खलन वाले दौर में यहां डीएम रहे केके पंत ने जिले में सबसे अधिक समय गुजारा, जबकि उनके तुरंत बाद यहां आए राजीव चंद्र का कार्यकाल सबसे कम महज 52 दिन रहा। वर्ष 2010 से निरंतर प्राकृतिक आपदाओं की मार झेल रहे जिले में इन चार वर्षों में छह डीएम बदले गये थे। जिलाधिकारी पद पर इतनी जल्दी तबादला होने से जिले की तमाम योजनाएं प्रभावित होती हैं। जब तक कोई अधिकारी जिले को समझता है तब तक उसे हटा दिया जाता है।
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