कई कर्मचारी संगठनों का उपनल कर्मियों को समर्थन, दून अस्पताल के 200 से ज्यादा कर्मचारी शामिल, मुख्य सचिव ने वार्ता के लिए बुलाया

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डॉ. अजय मोहन सेमवाल। राज्य भर से बड़ी संख्या में उपनल कर्मचारी आज राजधानी देहरादून पहुंचे हैं. उपनल कर्मचारियों ने अपने पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार सचिवालय के लिए कूच किया. पुलिस ने उपनल कर्मियों को सुभाष रोड पर बैरिकेडिंग लगाकर रोक दिया. इसके बाद प्रदर्शनकारी वहीं सड़क पर ही बैठकर नारेबाजी करने लगे.

उपनल कर्मियों का सचिवालय कूच
अपनी मांगों को लेकर आज प्रदेश भर के उपनल कर्मचारी सड़कों पर उतरकर अपना आक्रोश प्रकट कर रहे हैं. उपनल कर्मी आज सोमवार सवेरे से ही देहरादून के परेड मैदान में एकत्रित हुए. उसके बाद सभी उपनल कर्मचारी का जत्था जुलूस की शक्ल में सर्वे चौक, लैंसडाउन चौक से होते हुए सचिवालय की ओर बढ़ चला. उपनल कर्मियों के जुलूस के चलते पहले से ही मौके पर भारी पुलिस बल मौजूद था. पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को सचिवालय से पहले बैरिकेडिंग लगाकर रोक दिया.

दून मेडिकल कॉलेज चिकित्सालय के 200 कर्मी भी शामिल
इस प्रदर्शन में तमाम विभागों के उपनल कर्मचारी शामिल हैं. अपने साथियों के समर्थन में दून मेडिकल कॉलेज चिकित्सालय से भी 200 से अधिक कर्मचारी सचिवालय कूच में शामिल हुए हैं. इससे अस्पताल की व्यवस्थाएं लड़खड़ा गई हैं. कई उपनल कर्मियों के प्रदर्शन में शामिल होने के बाद मरीजों को पर्चा बनाने में भी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के कंप्यूटर ऑपरेटरों, लैब टेक्नीशियन, एक्स रे टेक्निशियन, नर्सिंग स्टाफ, वार्ड बॉय और सफाई कर्मचारियों के सचिवालय घेराव में शामिल होने की वजह से मरीजों को समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है.

कई संगठनों का भी मिला समर्थन


राज्य निगम कर्मचारी महासंघ और हाइड्रो इलेक्ट्रिकल इंपलाइज यूनियन का भी उपनल कर्मचारियों के आंदोलन को समर्थन मिला है. उपनल कर्मचारी संयुक्त मोर्चा के प्रदेश संयोजक विनोद गोदियाल के अनुसार नैनीताल उच्च न्यायालय ने 2018 में उपनल कर्मचारियों को समान काम के लिए समान वेतन देने और नियमितीकरण के लिए नियमावली बनाने का फैसला सुनाया था. प्रदेश सरकार ने इस फैसले पर अमल न करके, इसके खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय (सुप्रीम कोर्ट) में एसएलपी दाखिल कर दी.

देश की सबसे बड़ी अदालत यानी सुप्रीम कोर्ट उत्तराखंड सरकार की एसएलपी खारिज कर चुका है. इसके बाद भी राज्य सरकार की ओर से हाईकोर्ट के 2018 के फैसले को अमल में नहीं लाया जा रहा है. राज्य सरकार दोबारा से SC में विशेष अनुमति याचिका दाखिल करने की तैयारी में है. इससे राज्य भर के उपनल कर्मचारियों में आक्रोश है.

22 हजार उपनल कर्मचारी कर रहे हैं आंदोलन
बता दें कि अपनी मांगों को लेकर राज्य के करीब 22 हजार उपनल कर्मचारी लंबे समय से आंदोलन कर रहे हैं. मांगें पूरी न होने की सूरत में आज राज्य भर से आए कर्मियों ने सचिवालय कूच करने का फैसला किया. प्रदर्शनकारी उपनल कर्मियों का कहना है कि यदि उनकी मांगों का निस्तारण नहीं किया जाता है, तो सभी कर्मचारी हड़ताल पर चले जाने को बाध्य हो जाएंगे.

मुख्य सचिव ने वार्ता के लिए बुलाया
उपनल कर्मचारी महासंघ के कार्यकारी अध्यक्ष महेश भट्ट का कहना है कि हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ एसएलपी को निरस्त करने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ सरकार रिव्यू दाखिल न करे और वर्ष 2018 के हाईकोर्ट के आदेश के अनुरूप ठोस नीति बनाते हुए नियमितीकरण की कार्रवाई शुरू की जाए. प्रदर्शन कर रहे उपनल कर्मचारियों के प्रतिनिधि मंडल को मुख्य सचिव ने वार्ता के लिए आमंत्रित किया है. हालांकि इसके बाद भी काफी देर तक कर्मचारी अपनी मांगों को लेकर सुभाष रोड की सड़क पर धरने पर बैठे रहे. जब मुख्य सचिव के यहां से बुलावा आया तो, तब वो लोग धरने से उठे. हालांकि काफी देर बाद उपनल कर्मचारियों के प्रतिनिधिमंडल ने मुख्य सचिव राधा रतूड़ी से मुलाकात की, लेकिन इस बैठक में कोई नतीजा नहीं निकला. इसके बाद शाम को कर्मचारियों ने सुभाष रोड से उठकर सहस्त्रधारा रोड स्थित एकता विहार धरना स्थल पर डेरा डाल दिया.

मुख्य सचिव की ओर से उपनल कर्मचारी के प्रतिनिधिमंडल को केदारनाथ उपचुनाव की वजह से आचार संहिता लागू किए जाने की बात की गई है. 24 नवंबर के बाद मुख्यमंत्री के साथ उच्च स्तरीय बैठक कराए जाने का आश्वासन दिया गया है. प्रतिनिधिमंडल के साथ करीब एक घंटे वार्ता चली. उपनल महासंघ के देहरादून इकाई के जिला अध्यक्ष गणेश गोदियाल का कहना है कि शाम को सभी कर्मचारी सहस्त्रधारा रोड स्थित एकता विहार धरना स्थल पर पहुंच गए हैं, और यहीं पर आगामी कर्मचारी आगामी रणनीति तैयार करेंगे.

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