देहरादून, 7 फरवरी। उत्तराखंड विधानसभा में उत्तराखंड राज्य आंदोलन के चिह्नित आंदोलनकारी और उनके सभी पात्र आश्रितों को राजकीय सेवा में 10 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण देने वाला विधेयक संशोधन के साथ बुधवार को सर्वसम्मति से पारित हो गया।
बुधवार को यूसीसी विधेयक पास होने के बाद संसदीय कार्यमंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने चिह्नित आंदोलनकारियों व उनके आश्रितों को राजकीय सेवा में आरक्षण विधेयक 2023 संशोधन के साथ पारित करने का प्रस्ताव रखा था। बिना किसी चर्चा के विधेयक पास हुआ। विपक्ष की इसमें सहमति रही। मंगलवार को विधानसभा अध्यक्ष ऋतु भूषण खंडूड़ी ने प्रवर समिति की रिपोर्ट सदन पटल पर रखी थी। विधेयक प्रवर समिति की सिफारिशों को शामिल करते हुए पारित किया गया।
सितंबर में हुआ था विधेयक पेश
प्रदेश सरकार ने आठ सितंबर 2023 को सदन में विधेयक पेश किया था। विधेयक में चिह्नित आंदोलनकारियों या उसके एक आश्रित सदस्य को क्षैतिज आरक्षण का प्रावधान किया गया था। कुछ सदस्यों ने विधेयक के प्रावधानों में संशोधन को इसे प्रवर समिति को भेजने की मांग की थी। स्पीकर ने सदस्यों की मांग पर विधेयक प्रवर समिति को भेज दिया था। समिति ने करीब दो माह बाद अपनी रिपोर्ट स्पीकर को सौंप दी थी।
विधेयक में किए ये प्रावधान
चिह्नित राज्य आंदोलनकारियों के सभी पात्र आश्रितों को आरक्षण का लाभ मिलेगा।
चिह्नित आंदोलनकारी की पत्नी अथवा पति, पुत्र एवं पुत्री के साथ विवाहित, विधवा, पति द्वारा परित्यक्त, तलाकशुदा पुत्री शामिल।
2004 से क्षैतिज आरक्षण के माध्यम से सरकारी सेवा में शामिल हो चुके आंदोलनकारियों की सेवाओं को वैधता प्रदान करेगा।
1700 सेवारत आंदोलनकारियों व आश्रितों मिलेगा फायदा
विधेयक कानून बनने के बाद उन करीब 1700 सरकारी सेवा में सेवारत आंदोलनकारियों व उनके आश्रितों को संरक्षण प्रदान करेगा, जो 11 अगस्त 2004 या उसके बाद समय-समय पर जारी शासनादेश के तहत राजकीय सेवा में नियुक्त हुए हैं।
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