महान संत परमपूज्य आचार्य श्री 108 विद्यासागर जी महाराज के गोलोकगमन पर अभाविप ने व्यक्त किया शोक

1 min read

जैन धर्म के महान संत तथा मानवता के अनन्य उपासक आचार्य श्री 108 विद्यासागर जी के ब्रह्मलीन होने पर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने शोक व्यक्त की है। आचार्य श्री विद्यासागर जी के गोलोकगमन से भारतीय समाज व उनके असंख्य अनुयायियों के लिए अपूरणीय क्षति है। सन् 1968 में दिगंबरी दीक्षा प्राप्त करने के पश्चात स्व. आचार्य जी द्वारा पंच यम- अहिंसा , सत्य, अस्तेय, ब्रह्मचर्य और अपरिग्रह के प्रचार हेतु अथक प्रसायों ने सम्पूर्ण विश्व को मानवता के राह पर चलने की प्रेरणा दी है।

अभाविप ने शोक व्यक्त करते हुए कहा कि श्री विद्यासागर जी ने धर्म के प्रचार, सामाजिक उत्थान एवं राष्ट्र कल्याण हेतु सदैव ही अग्रणी भूमिका निभाई है। तप, त्याग व राष्ट्र कल्याण की सजीव प्रतिमूर्ति रहे आचार्य जी का जीवन अनंतकाल तक लोगों को प्रेरित करता रहेगा। भारत में अनेक गौशालाएं, शिक्षण संस्थान तथा हथकरघा केंद्र की स्थापना कर उन्होंने सामाजिक एवं आध्यात्मिक जागरण हेतु महती भूमिका निभाई है। उदात्त मूल्यों के मार्गदर्शक रहे आचार्य विद्यासागर जी ने जीवन के अंतिम क्षण तक कठोर साधनाव्रत का निर्वहन किया एवं मानव सेवा में सम्पूर्ण जीवन अर्पित कर दिया।

मानव समाज में आध्यात्मिक जागृति एवं जन कल्याण हेतु अपना सर्वस्व समर्पित करने वाले आचार्य श्री विद्यासागर जी के शरीर पूर्ण होने के दुखद क्षण पर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ राजशरण शाही, राष्ट्रीय महामंत्री याज्ञवल्क्य शुक्ल तथा राष्ट्रीय संगठन मंत्री आशीष चौहान ने अभाविप कार्यकर्ताओं का अंतिम प्रणाम निवेदित करते हुए उनसे प्रेरणा पाए हुए असंख्य अनुयायियों के प्रति संवेदनाओं को व्यक्त करते हुए उनकी आत्मा की सद्गति हेतु प्रार्थना की।

You May Also Like

More From Author

+ There are no comments

Add yours