पटना। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के सैकड़ों कार्यकर्ताओं ने रविवार को बिहार शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव के.के. के आवास का घेराव किया और अड़ियल रवैये को छोड़ प्रदेश भर के विश्वविद्यालयों के खाते पर लगे रोक को हटाने की मांग की। विदित हो कि अभाविप ने इससे पहले तीन दिन का अल्टीमेटम दिया था, अल्टीमेटम दिवस की समाप्ति के बाद अभाविप कार्यकर्ताओं ने आज बिहार के सभी विश्वविद्यालयों के खातों के संचालन पर लगे रोक को तुरंत हटाने, शिक्षकों-कर्मचारियों का बकाया वेतन एंव पेशन को तुरंत जारी करने और विश्वविद्यालय के स्वायत्तता का हनन करने को लेकर शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव के के पाठक का आवास घेराव किया।
घेराव के दौरान अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद कार्यकर्ताओं और पुलिस प्रशासन के बीच जोरदार झड़प हुई। बताया जाता है कि इस झड़प में अभाविप के कार्यकर्ता जोटिल हुए हैं। पुलिस ने घेराव र कर रहे अभाविप प्रदेश मंत्री नीतीश पटेल सहित अन्य कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार कर पटना स्थित शास्त्री नगर थाना ले गई है।
अभाविप ने कहा कि बिहार विश्वविद्यालय अधिनियम,1976 एवं विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के विभिन्न अधिनियम, नियम एवं परिनियमों के अनुसार राज्य के अंदर अवस्थित विश्वविद्यालय स्वायत्त संस्था है परंतु विगत वर्षों में बिहार राज्य की विश्वविद्यालयों, महाविद्यालयों के क्षेत्राधिकार में उच्च शिक्षा विभाग, बिहार सरकार एवं शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव द्वारा अनावश्यक एवं गैरकानूनी हस्तक्षेप कर बिहार के उच्च शिक्षा की गुणवत्ता में नकारात्मक प्रभाव डाला जा रहा है। विदित हो कि शिक्षा विभाग द्वारा बिहार के विश्वविद्यालयों के खातों पर रोक लगा दी गई है, जिससे विश्वविद्यालयों में पढ़ाने वाले प्राध्यापक, शिक्षकेत्तर कर्मचारी सहित अन्य कर्मियों एवं पेंशनधारियों का वेतन रूका हुआ है। अभाविप इस पर लगे रोक को हटाने एवं विवि के खातों को सुचारूपूर्वक संचालन की मांग को लेकर आंदोलनरत है।
अभाविप दक्षिण बिहार प्रान्त मंत्री नीतीश पटेल ने कहा कि विगत कई महीनों से प्रदेश में शिक्षा विभाग की मनमानी के कारण विश्वविद्यालयों की स्वायत्तता ख़तरे में दिखाई दे रही है। शिक्षा विभाग के पदाधिकारियों के लगातार तानाशाही एवं अड़ियल रवैये के कारण आज प्रदेश भर के शैक्षिक परिसरों में अराजकता की स्थिति उत्पन्न हो गई है। उन्होंने कहा कि प्रदेश के सभी विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति होने के नाते महामहिम राज्यपाल ही केवल दिशानिर्देश देने का अधिकार रखते हैं और यूजीसी भी कई निर्णयों में यह स्पष्ट कर चुकी है कि सरकार विश्वविद्यालयों में वित्तीय सहायता देने के नाम पर उसकी स्वायत्तता को खत्म नहीं कर सकती। महामहिम प्रदेश के संवैधानिक प्रमुख होते हैं लेकिन उनके आदेश को भी शिक्षा विभाग के बेलगाम अधिकारी नहीं मान रहे हैं जिस कारण देश भर में प्रदेश की गरिमा धूमिल हो रही है।
पटेल ने कहा कि शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव के. के. पाठक के द्वारा विश्वविद्यालयों के खातों पर रोक लगाना उनके मानसिक विकृति को दर्शाता है। विगत कई महीनों से शिक्षकों, कर्मचारियों एवं पेंशनधारियों का वेतन रोकना मानवीय त्रासदी से कम नहीं है। उन्होंने अपर मुख्य सचिव के. के. पाठक पर आरोप लगाते हुए कहा कि पाठक के मनमानीपूर्ण रवैये के कारण बिहार की शिक्षा व्यवस्था वसूली का माध्यम बन गया है। ऐसी परिस्थिति में मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री एवं शिक्षा मंत्री की चुप्पी उनकी लाचारी को दर्शाता है।
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