देवभूमि के मस्तक पर दाग लगा गई हल्द्वानी हिंसा, उत्तराखंड की संस्कृति पर कभी नहीं पड़े थे खून के छींटे

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देहरादून, 9 फरवरी। देवभूमि उत्तराखंड की संस्कृति में खून का ये रंग पहले कभी नहीं घुला था। हमेशा से यह राज्य शांत रहा है। इसकी शांत वादियों ने सदैव बाहरी लोगों को यहां की ओर आकर्षित किया है। यही वजह है कि इस घटना ने पूरे उत्तराखंड के मन मस्तिष्क को झकझोर दिया है। उत्तराखंड में कभी हिंसक घटनाओं का इतिहास नहीं रहा, लेकिन हल्द्वानी हिंसा देवभूमि के ललाट दाग पर लगा गई।

राज्य के कई इलाकों में बड़ी संख्या में मुस्लिम आबादी रहती है, लेकिन वह यहां की संस्कृति में रच बस गए हैं। लोगों के घरों के निर्माण करने से लेकर मंदिरों तक की सजावट तक के हर काम में उनका सहयोग होता है। एक सुखद पहलु यह भी है कि भले ही लोग उन्हें रहीम, इकबाल, सुलेमान के नाम से पुकारते हो, लेकिन जब उनके मुख से स्थानीय बोली (गढ़वाली बोली) सुनते हैं तो यह बताता है कि वह किस तरह से यहां कि संस्कृति में घुल मिल गए हैं।

हरिद्वार, रुड़की, ऊधम सिंह नगर जैसे शहरों में पड़ोसी राज्यों से आकर लोग बसे हैं। मिक्स आबादी के चलते यहां सामाजिक ताना-बाना भले बदला हुआ है, लेकिन सभी ने एक दूसरे को अपनाया है। मैदान और पहाड़ दोनों में ही जगह मुस्लिम समुदाय के लोग रहते हैं, लेकिन इनके आपसी तालमेल को देखकर यह कहा नहीं जा सकता है कि यह इनका अपना घर नहीं।

उत्तरकाशी सहित कुछ पहाड़ी जिले तो ऐसे हैं जहां कई मुस्लिम परिवारों की पीढ़ियां रही है। लेकिन अचानक इस राज्य की शांति ही भंग हो गई। किसने शांत फिजा का सुकून और खुशी छीन ली। सत्ता और विपक्ष भी इस घटना से हैरान है। क्योंकि देवभूमि में इस घटना की किसी ने कभी कल्पना नहीं की थी।

उत्तराखंड बनने से पहले भी यहां कभी सांप्रदायिक हिंसा का नहीं हुई। उत्तराखंड का मिजाज हमेशा से लोगों को जोड़ने वाला रहा है। इस बात का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है पिछले साल उत्तरकाशी के पुरोला में एक घटना के बाद लव जिहाद के मामले ने तूल पकड़ा था। इस दौरान देवभूमि की शांत फिजाओं में नफरत और सांप्रदायिकता का जहर घोलने का प्रयास किया गया। मुस्लिम समुदाय के लोगों की कई पीढ़ियां यहां बसी थी। यही वजह रही कि लोगों ने एकजुटता दिखाई और शांतिपूर्ण माहौल स्थापित किया गया।

हल्द्वानी पहुंचकर पीड़ितों से मिले सीएम धामी


हिंसा की घटना के बाद सीएम पुष्कर सिंह धामी हल्द्वानी पहुंचे और यहां घायलों व पीड़ितों से कुशलक्षेम पूछी। साथ ही पुलिस अधिकारियों से इस मामले की जानकारी भी ली। उन्होंने कहा कि अतिक्रमण हटाने का काम कोर्ट के आदेश पर पहले से हो रहा था। लेकिन यह हमला सुनियोजित था। जिस तरह से हमारी पुलिस पर हमला हुआ है। यह बहुत ही दुख की बात है।

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